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it is the story of Lord Krishna when Vishnuji took incarnation in form og Krishna to King Vasudev and Devki. It is the conversation between demon Kansa and King Vasudev. Famous Festivals: Janamasthmi Festivals Description:#Krishna‬ ‪#Birth‬ ‪#LordKrishna‬ ‪# Location: Mathura Address: , UTTAR PRADESH, INDIA How to Reach by Train: Train How to Reach by Road: Bus |
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\" शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जनà¥à¤® कथा \" दà¥à¤µà¤¾à¤ªà¤° यà¥à¤— में पृथà¥à¤µà¥€ पर राकà¥à¤·à¤¸à¥‹ के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° बढने लगे पृथà¥à¤µà¥€ गाय का रूप धारण कर अपनी कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठतथा उदà¥à¤§à¤¾à¤° के लिठबà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी के पास गई। पृथà¥à¤µà¥€ पर पाप करà¥à¤® बहà¥à¤¤ बढ़ गठयह देखकर सà¤à¥€ देवता à¤à¥€ बहà¥à¤¤ चिंतित थे । बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी सब देवताओ को साथ लेकर पृथà¥à¤µà¥€ को à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के पास कà¥à¤·à¥€à¤° सागर ले गà¤à¥¤ उस समय à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ अनà¥à¤¨à¤¤ शैया पर शयन कर रहे थे। सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने पर à¤à¤—वान की निदà¥à¤°à¤¾ à¤à¤‚ग हो गई à¤à¤—वान ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी à¤à¤µà¤‚ सब देवताओ को देखकर उनके आने का कारण पूछा तो पृथà¥à¤µà¥€ बोली-à¤à¤—वान मैं पाप के बोठसे दबी जा रही हूà¤à¥¤ मेरा उदà¥à¤§à¤¾à¤° किजिà¤à¥¤ यह सà¥à¤¨à¤•र à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ करते हà¥à¤ बोले - “चिंता न करें, मैं नर-अवतार लेकर पृथà¥à¤µà¥€ पर आऊंगा और इसे पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करूंगा। मेरे अवतार लेने से पहले कशà¥à¤¯à¤ª मà¥à¤¨à¤¿ मथà¥à¤°à¤¾ के यदà¥à¤•à¥à¤² में जनà¥à¤® लेकर वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ होंगे। मैं बà¥à¤°à¤œ मणà¥à¤¡à¤² में वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ की पतà¥à¤¨à¥€ देवकी के गरà¥à¤ से ‘कृषà¥à¤£â€™ के रूप में जनà¥à¤® लूà¤à¤—ा और उनकी दूसरी पतà¥à¤¨à¥€ के गरà¥à¤ से मेरी सवारी शेषनाग बलराम के रूप में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होंगे । तà¥à¤® सब देवतागण बà¥à¤°à¤œ à¤à¥‚मि में जाकर यादव वंश में अपना शरीर धारण कर लो। कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के मैदान में मैं पापी कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का संहार कर पृथà¥à¤µà¥€ को पापों से à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ करूंगा।†इतना कहकर अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¨ हो गठ। इसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ देवता बà¥à¤°à¤œ मणà¥à¤¡à¤² में आकर यदà¥à¤•à¥à¤² में ननà¥à¤¦ यशोदा तथा गोप गोपियो के रूप में पैदा हà¥à¤ । वह समय à¤à¥€ जलà¥à¤¦ ही आ गया। दà¥à¤µà¤¾à¤ªà¤° यà¥à¤— के अनà¥à¤¤ में मथà¥à¤°à¤¾ में ययाति वंश के राजा उगà¥à¤°à¤¸à¥‡à¤¨ राजà¥à¤¯ करता था। राजा उगà¥à¤°à¤¸à¥‡à¤¨ के पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सबसे बड़ा पà¥à¤¤à¥à¤° कंस था। देवकी का जनà¥à¤® उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के यहां हà¥à¤†à¥¤ इस तरह देवकी का जनà¥à¤® कंस की चचेरी बहन के रूप में हà¥à¤†à¥¤ कंस ने उगà¥à¤°à¤¸à¥‡à¤¨ को बलपूरà¥à¤µà¤• सिंहासन से उतारकर जेल में डाल दिया और सà¥à¤µà¤‚य राजा बन गया इधर कशà¥à¤¯à¤ª ऋषि का जनà¥à¤® राजा शूरसेन के पà¥à¤¤à¥à¤° वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ के रूप में हà¥à¤†à¥¤ कालांतर में देवकी का विवाह यादव कà¥à¤² में वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ के साथ संपनà¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ कंस देवकी से बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ करता था। पर जब कंस देवकी को विदा करने के लिठरथ के साथ जा रहा था तो आकाशवाणी हà¥à¤ˆ कि â€à¤¹à¥‡ कंस! जिस देवकी को तॠबडे पà¥à¤°à¥‡à¤® से विदा करने कर रहा है उसका आà¤à¤ वा पà¥à¤¤à¥à¤° तेरा संहार करेगा। आकाशवाणी की बात सà¥à¤¨à¤•र कंस कà¥à¤°à¥‹à¤§ से à¤à¤°à¤•र देवकी को मारने को उदà¥à¤§à¤¤ हो गया। उसने सोचा- ने देवकी होगी न उसका पà¥à¤¤à¥à¤° होगा । इस घटना से चारों तरफ हाहाकार मच गया। अनेक योदà¥à¤§à¤¾ वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ का साथ देने के लिठतैयार हो गà¤à¥¤ पर वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं चाहते थे। वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ जी ने कंस को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ देवकी से तो कोई à¤à¤¯ नही है देवकी की आठवी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ सौप दूà¤à¤—ा। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ समठमे जो आये उसके साथ वैसा ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना उनके समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ पर कंस का गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ शांत हो गया । वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ à¤à¥‚ठनहीं बोलते थे। कंस ने वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ जी की बात सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर ली पर उसने वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ और देवकी को कारागार में बनà¥à¤¦ कर दिया और सखà¥à¤¤ पहरा लगवा दिया। ततà¥à¤•ाल नारदजी वहाठपहà¥à¤à¤šà¥‡ और कंस से बोले कि यह कैसे पता चला कि आठवाठगरà¥à¤ कौन सा होगा गिनती पà¥à¤°à¤¥à¤® से या अनà¥à¤¤à¤¿à¤® गरà¥à¤ से शà¥à¤°à¥‚ होगा कंस ने नादरजी के परामरà¥à¤¶ पर देवकी के गरà¥à¤ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने वाले समसà¥à¤¤ बालको को मारने का निशà¥à¤šà¤¯ कर लिया । जैसे ही देवकी ने पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤¤à¥à¤° को जनà¥à¤® दिया वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ ने उसे कंस के हवाले कर दिया। कंस ने उसे चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ पर पटक कर मार डाला। इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤•-à¤à¤• करके कंस ने देवकी के सात बालको को निरà¥à¤¦à¤¯à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• मार डाला । à¤à¤¾à¤¦à¥à¤° पद के कृषà¥à¤£ पकà¥à¤· की अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को रोहिणी नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° में शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ का जनà¥à¤® हà¥à¤† उनके जनà¥à¤® लेते ही जेल ही कोठरी में पà¥à¤°à¤•ाश फैल गया। वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ देवकी के सामने शंख, चकà¥à¤°, गदा, à¤à¤µ पदमधारी चतà¥à¤°à¥à¤à¥à¤œ à¤à¤—वान ने अपना रूप पà¥à¤°à¤•ट कर कहा,â€à¤…ब मै बालक का रूप धारण करता हूठतà¥à¤® मà¥à¤à¥‡ ततà¥à¤•ाल गोकà¥à¤² में ननà¥à¤¦ के यहाठपहà¥à¤à¤šà¤¾ दो और उनकी अà¤à¥€-अà¤à¥€ जनà¥à¤®à¥€ कनà¥à¤¯à¤¾ को लाकर कंस को सौप दो । ततà¥à¤•ाल वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ जी की हथकडियाठखà¥à¤² गई । दरवाजे अपने आप खà¥à¤² गये पहरेदार सो गये वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ कृषà¥à¤£ को सूप में रखकर गोकà¥à¤² को चल दिठरासà¥à¤¤à¥‡ में यमà¥à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के चरणो को सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करने के लिठबढने लगी à¤à¤—वान ने अपने पैर लटका दिठचरण छूने के बाद यमà¥à¤¨à¤¾ घट गई वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ यमà¥à¤¨à¤¾ पार कर गोकà¥à¤² में ननà¥à¤¦ के यहाठगये बालक कृषà¥à¤£ को यशोदाजी की बगल मे सà¥à¤‚लाकर कनà¥à¤¯à¤¾ को लेकर वापस कंस के कारागार में आ गà¤à¥¤ जेल के दरवाजे पूरà¥à¤µà¤µà¤¤à¥ बनà¥à¤¦ हो गये। वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ जी के हाथो में हथकडियाठपड गई, पहरेदारजाग गये कनà¥à¤¯à¤¾ के रोने पर कंस को खबर दी गई। कंस ने कारागार मे जाकर कनà¥à¤¯à¤¾ को लेकर पतà¥à¤¥à¤° पर पटक कर मारना चाहा परनà¥à¤¤à¥ वह कंस के हाथो से छूटकर आकाश में उड गई और देवी का रूप धारण का बोली ,â€à¤¹à¥‡ कंस! मà¥à¤à¥‡ मारने से कà¥à¤¯à¤¾ लाà¤? तेरा शतà¥à¤°à¥ तो गोकà¥à¤² में पहà¥à¤š चà¥à¤•ा है“। यह दृशà¥à¤¯ देखकर कंस हतपà¥à¤°à¤ और वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो गया । कंस ने शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को मारने के लिठअनेक दैतà¥à¤¯ à¤à¥‡à¤œà¥‡ शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने अपनी आलौलिक माया से सारे दैतà¥à¤¯à¥‹ को मार डाला। बडे होने पर कंस को मारकर उगà¥à¤°à¤¸à¥‡à¤¨ को राजगदà¥à¤¦à¥€ पर बैठाया । शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ की पà¥à¤£à¥à¤¯ तिथी को तà¤à¥€ से सारे देश में बडे हरà¥à¤·à¥‹à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ से मनाया जाता है । ‪‬ |
